हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देव प्रबोधनी एकादशी के दिन मनाया जाता है | आपको बता दें कि इस बार तुलसी विवाह 26 नवंबर को है इस दिन के बाद से हिन्दुडुयों में शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते है | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के साथ ही रुके हुए सभी मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाएंगे | यह भी मान्यता है कि जो लोग कन्या सुख से वंचित होते हैं यदि वो इस दिन भगवान शालिग्राम से तुलसी जी का विवाह करें तो उन्हें कन्या दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है | इस दिन से लोग सभी शुभकामों की शुरुआत कर सकते हैं |
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त…
एकादशी तिथि की शुरुआत – 25 नवंबर, सुबह 2:42 बजे से हो जाएगी |
एकादशी तिथि का समापन – 26 नवंबर, सुबह 5:10 बजे तक एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी |
द्वादशी तिथि का प्रारंभ – 26 नवंबर, सुबह 05 बजकर 10 मिनट से द्वादशी तिथि शुरू होगी
द्वादशी तिथि का समापन – 27 नवंबर, सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक द्वादशी समाप्त हो जाएगी |
तुलसी विवाह इस तरह करें:
-आंगन में या गमले मने तुलसी के पौधे के चारों तरफ रेशमी कपड़े और केले के पत्तों से मंडप सजाएं |
-तुलसी मां को लाल रंग की गोटेदार चुनरी ओढ़ायें और सभी श्रृंगार की चीजें अर्पित करें |
-तुलसी जी के ही पास भगवान शालिग्राम और गणेश भगवान को रखकर उनकी पूजा-अर्चना करें |
-भगवान शालिग्राम की मूर्ति सिंहासन समेत हाथों में लेकर खड़े हो जाएं और मां तुलसी के 7 फेरे लें | इसी तरह तुलसी विवाह संपन्न होगा |
-इसके बाद तुलसी जी की आरती पढ़ें और शादियों में गाए जाने वाले सोहर गीत गाएं |
नोट : इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं इसकी पुष्टि किसान सत्ता नहीं करता है यह कार्य करने से पहले किसी ज्योतोषी से जानकारी प्राप्त कर लें |